A letter to mom from Hostel.

एक चिट्ठी मां के लिए ❤️

मा ...! मुझे आपकी बहुत याद आ रही है, मैं रोना नहीं चाहता पर खुद को संभाल भी नहीं पा रहा हूं, 

आपकी डांट यहां की आजादी से कहीं बेहतर थी । मुझे मेरा आंगन याद आता है, सुबह देर उठने पर शालू का वो ताना याद आता है, दिन भर फोन चलाने पर आपकी डांट याद आती है ,सुबह जबरदस्ती ज्यादा खिलाए जाने वाला आपके हाथ का खाना याद आता है,.. मुझे वह सब याद आता है और हर याद के साथ आते हैं आंखों में आंसू........
जिन्हे मेरी आंखें ना संभाल पाती है ना निकाल पाती है ..
सच कहूं तो मुझे मेरा बचपन याद आता है, यहां आने के बाद तो जैसे मैं बहुत बड़ा हो गया हूं ,खाना बना लेता हूं ,खुद खा भी लेता हूं ,अकेले सो भी लेता हूं, अंधेरे से डरता भी नहीं...
मैं यहां अकेले रहकर बाहर से जितना बड़ा और मजबूत हो रहा हूं अंदर से उतना ही कमजोर......
पहले आपके पास में रात को सुकून से सोया करता था पर आज सुकून के लिए रोया करता हूं आपसे दूर रहना बेशक मेरा भविष्य सवार देगा पर मेरा बचपन यही किराए के कमरों में कहीं दम तोड़ देगा....
और क्या लिखूं मम्मा...... बस इतना कि मैं आप सब को बहुत याद करता हूं, और रात का खाना मैं आपके साथ बैठकर खाना चाहता हूं और फिर आप के आंचल में सुकून से सोना.....
miss you mumma !!            



 




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