दोस्ती किसी उसूल की मोहताज नहीं होती

मुझे नहीं आते दोस्ती के उसूल और कायदे 
अब कोई दोस्ती का मतलब न सिखाए मुझको,

मैंने कभी नहीं चाहा है बुरा किसी का,
मगर ख्वाहिश भी नहीं कि कोई चाहे मुझको ।

बहुत देखे है यार मैंने भी इस जमाने में,
जिसका दिल ना मिले वो गले न लगाए मुझको।

मेरी हर बात पे अब कोई टोके हरदम ,
यूं झूठी तारीफें न दिखाए मुझको ।

जो भी कहना है, आके मुंह पे कह दे 
चुपचाप से दिल में न दबाए मुझको ।

अगर दोस्ती न सही तो नफरत ही सही 
मगर हार के यू न हटाए मुझको ।

और नफरत भी करना है तो पूरी सिद्दत से करे,
कि अपने मन के हर कोने से जलाए मुझको 

जिसे भी लगता है कि मै किसी काबिल नहीं हूं
वो पास आए और आके आजमाए मुझको ।

- Sugandh

Comments

Popular Posts